भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इतनी दिलचस्प क्यों / चन्द्र त्रिखा
Kavita Kosh से
इतनी दिलचस्प क्यों हयात मिली
दर्द की सारी क़ायनात मिली
सब के कंधों पर अपनी लाशें थीं
आज सूरज के घर में रात मिली
चाल जो भी चले गज़ब की चले
फिर भी अपने खिलाफ मात मिली
शहर सारा ही गुमशुदा-सा दिखे
खुद-फरेबी से कब निज़ात मिली
क्या बताएँ कि हमको क्या न मिला
आप की एक-एक बात मिली