भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इन्तजार / शैलजा पाठक

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक शब्द इन्तजार

एक लम्बा सूखा रास्ता
एक गहरे गढ्डे में सूखी पड़ी नदी

यादों की परते खुरचती
नमी तक पहुंचती आवाज

मंदिर में बेजान जलता दिया
कांपती जिंदगी की लौ

तकिये में मौन पड़ी हिचकी
दस्तक पर हहराता कलेजा

यकीं पर बरसो से एक ठंडी
पड़ी आग

इन्तजार एक शब्द नही
एक रुदन है

सूखे चेहरे पर खारे आँसूओं
का थका सा समन्दर...