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इस लिए / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
सूख कर
जो झरते पत्ते
अपने में सिकुड़ जाते हैं
अपने में सिकुड़ जाना
मृत्यु है क्या
प्रेम क्या जीवन है
इस लिए !
2 अप्रैल 2010