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ईश्वरोक्ति नहीं / नील कमल
Kavita Kosh से
यह ईश्वरोक्ति नहीं, सिर्फ़ उनका बयान है
कि हार से पहले
लड़ाई अपने हक़ में
मोड़ सकता है आदमी ।
जितना वह समझता है
उससे ज़्यादा उसे
ख़ुद के बारे में बताया जाता है ।
प्यार से बड़ा सच
जिसे स्वार्थ कहते हैं
यह सिर्फ़ उनका बयान है ।
गिरगिट से भी तेज़
बदलते हुए रंग
वह अपना क़द भूल जाता है ।
कई बार आदमी का कद
ईश्वर से भी बड़ा पाया जाता है
जब गिरकर खड़ा होता है
अपरिचित किसी का हाथ पकड़
जैसे कि हम साथ हैं
याद रहे, यह ईश्वरोक्ति नहीं
सिर्फ़ उनका बयान है ।