भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उडीक / प्रमोद कुमार शर्मा
Kavita Kosh से
म्है
बां नै
सा‘रौ दियौ
अर चढ़ा दिया पहाड़ उपर !
बात ही जीत री
हुई बा
पण बै पहाड़ सूं उतरणौ भूलग्या
अर म्है बां री उडीक मांय
हुग्या पहाड़ !