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उत्सव / जय गोस्वामी
Kavita Kosh से
गाड़ के रखी लाशों के पहले
है बहा दी गई लाशों की कहानी
तालपाटी नहर से बह-बह
इस देश के सारे नदी किनारे
कोई औंधा कोई चित्त पड़ा शव ।
शरीर में गोली का ज़ख़्म । ऊपर माथे के
भर रात चाँद का पहरा ।
जिन लोगों ने चलाई है गोली कविता उत्सव का लेते सहारा ।
बांग्ला से अनुवाद : संजय भारती