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उपलब्धि / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
सपनों के सहारे
एक लम्बी उम्र
हमने
सहज ही काट ली —
बडे सुख से
सहन से
सब्र से !
मन के गगन पर
मुक्त मँडराती व घहराती
गहन बदली अभावों की
उड़ा दी, छाँट दी
हमने
अटल विश्वास के
दृढ़ वेगवाही वातचक्रों से,
दिन के, रैन के
अनगिनत सपनों के भरोसे !
मौन रह अविराम जी ली
यह कठिनतम ज़िन्दगी
हमने
अमन से, चैन से !
सपनो !
महत् आभार,
वृहत् आभार !