भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उसका चेहरा तारी है / अनीता मौर्या
Kavita Kosh से
उसका चेहरा तारी है
चाहत इक बीमारी है
आँखों से दिल तक पहुंचा
बन्दे की हुश्यारी है
बेटी घर के आंगन में
ख़ुशियों की फुलवारी है
नेकी करके ढोल बजा
ये ही दुनियादारी है
रातों को तारे गिनना
इश्क़ अज़ब बेगारी है
ख़ुशियों और ग़म दोनों में
अपनी हिस्सेदारी है
कोई साथ नहीं देगा
मतलब की बस यारी है
मेरे दिल पर उसका हक़
अच्छी ये सरदारी है