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उसकी बातें / आनंद कुमार द्विवेदी
Kavita Kosh से
गाढ़े वक़्त के लिए बचाए गए धन की तरह
वह खर्च करती है
एक-एक शब्द
न कम न ज्यादा;
और मुझे ....
उतने से ही चलानी होती है
अपने प्रेम की गृहस्थी,
महीने के उन दिनों में भी
जब वह नहीं खर्चती एक भी शब्द ...!