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ऊँचे लोग / भानुमती नागदान
Kavita Kosh से
उनके और हमारे पूर्वज एक ही जहाज से आये थे
हम सब गुलाम थे, कुली थे,और मज़दूर थे ।
पत्थरों को तोड़ा, पसीना बहाया और कोड़ों की मार खाई
फिर बदलाव आया समय ने करवट बदली ।
वे मज़दूरी छोड़ दलाली करने लगे
ज़मिनों की धर्मों की और औरतों की ।
दो और दो पांच करके बड़े आदमी बन गये
बंगले गाड़ियाँ ज़मीन, जायदाद के मालिक बन गये
वे ऊँचे लोग कहलाने लगे !
हम अभी तक खेतों में काम करते हैं पसीना बहाते हैं
हमारे पास घर है और गाड़ी भी है ।
हम अपने परिवार का पालन-पोषण धर्म से मानदारी से करते हैं, पसीने की कमाई से
और हम छोटे लोग कहलाते हैं ।