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ऊंग क्यूं नीं आवै / राजेन्द्र देथा
Kavita Kosh से
ध्यान ऊं,हेतालू पाठक ध्यान ऊं!
इण कविता मांय दो आदमी है
नैतराम म्हारै अठै रा एमेलै है
अर सरकार मांय पाणी रा मंत्री है
अर वां रौ गार्ड म्हारै गांव रौ ईज है
बतावै है कै- आजकल सा'ब नै नींद नीं आवै
औ स्यात अकारथ नीं है
आगलै मी'नै चुनाव री तारीखां है
अर......
कविता मांय दूजौ आदमी
म्हारै गाम बिजेरी रौ ऐक मामूली किरसौ है
उणरौ मासियाई म्हारौ बालपणै रौ मूंघौ बेली है
वा बतावै कै रशीद नै आं दिनां ऊंग नीं आवै
अर बतावै है कै स्यात औ अकारथ नीं है
आगलै मी'नै केसेसी आली किस्त री तारीख है
म्हैं सोचूं हूं नींद दोनां
नै ई कोनी आवै
फरक फगत इतरौ ईज है के
मंत्री री नींद एक महीने खातर गुमिज्योडी़ है
पण रशीद री स्यात आगलै जिल्म तांईं।