भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक असफल महत्वाकांक्षा / तादेयुश रोज़ेविच

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

{{KKAnooditRachna


मैं एक गैंडा पैदा हुआ
मोटी खाल और अपनी नाक पर सींग उगाए

मैं तितली होना चाहता था
लेकिन मुझे बताया गया
मुझे गैंडा ही रहना पड़ेगा

तब फिर मैंने
कोई गाने वाला पक्षी या सारस या फिर चमरढेंक होना चाहा
लेकिन मुझे बताया गया यह संभव नहीं हैं

मैंने पूछा - क्यों
तो जवाब था
क्योंकि तुम गैंडा हो

मैं बन्दर होना चाहता था
यहाँ तक कि तोता तक
लेकिन मुझसे कहा गया - 'नहीं'

मैंने स्वप्न देखा कि मेरी
कोमल हल्की गुलाबी त्वचा है
और क्लेओपेट्रा जैसी नन्हीं -सी नाक

लेकिन मुझे याद दिलाया गया
कि असल में मेरी खासी मोटी खाल है
और नाक पर उगी सींग ही मेरी असली पहचान है

तुम थे, तुम हो, और तुम रहोगे एक गैंडा
जब तक तुम मर नहीं जाते ।


(बिल जॉन्सन के अंग्रेज़ी अनुवाद के आधार पर )