भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक कठिन समय / उपेन्द्र कुमार
Kavita Kosh से
समय द्वारा उठाए
प्रश्नों का उत्तर
न तो धरती ने दिया है
ने आसमान ने
वैसे भी माटी
कहाँ देती है जवाब
आसमान कब सुझाता है समाधान
फिर भी
ये जो कर सकते थे किया
धरती के धारण किया
बीज बना सारे प्रश्न
आसमान
गाहे-बेगाहे
रहा उन्हें सींचता
बीजों से फसलें
फसलों से विकसित बीज
विकसित बीजों से
ऐसे ही
चलता रहा
सिलसिला
प्रश्नों के साथ
जुड़ा था समय
जो रहा बदलता उनके साथ-साथ
और आ गया
आज का समय
यानी एक कठिन समय