भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक रोज / विनय सौरभ
Kavita Kosh से
					
										
					
					{{KKCatK avita}}
जिस जगह को
हम हृदय की अतल
गहराइयों  से प्यार करते रहे
एक गहरी कचोट 
और डूबते हुए दिल 
के साथ छोड़ देनी 
होती है एक रोज.!!
	
	