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एक लड़के की कहानी / कुमार रवींद्र
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सुनो साधो !
एक लड़के की कहानी
सुबह से पहले उठा वह
बाद आधी-रात सोया
और पूरे दिन शहर में
एक खारे सिंधु को
उसने बिलोया
तब कहीं
कुछ बूँद उसको मिला पानी
वह चला फुटपाथ से
फुटपाथ तक मीलों अकेले
रात लौटा फिर उसी अंधी गली में
थका-हारा
जहाँ सपनों का तबेला
सुबह होगी
फिर शुरू यात्रा पुरानी
मिला लड़के को मसीहा एक
बाहर दुआघर के -
रात आधी हो चुकी थी -
वहीं से निकले निशाचर
बन-सँवर के
कथा उनकी
सुनो लड़के की ज़ुबानी