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ऐसे तो नहीं जाने दूँगा / रुस्तम
Kavita Kosh से
(अपने चचा के लिए)
सौ मील से आए हो
साइकिल पर।
चचा! ऐसे तो नहीं जाने दूँगा!
सौ मील से आए हो
साइकिल पर।
यह तुमने
कब सीख ली साइकिल? —
दादी कहती थी
तुम्हारी अक़्ल मोटी है।
सौ मील से आए हो।
क्या हाल हैं साइकिल के?
ठीक तो है हैण्डल?
गद्दी कोमल है?
दादा चला गया घोड़ी पर।
तुमने सीख ली साइकिल।
सौ मील से आए हो
पैडल
घुमाकर —
चचा! ऐसे तो नहीं जाने दूँगा!