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ओ धरती रा रखवाला / शिवराज भारतीय
Kavita Kosh से
कठै गई गै दूध री नदियां
कठै गया घी रा नाळा
चेतो कर थूं छोड ऊंघणो
ओ धरती रा रखवाळा
थांरी सोवण री बेळा में
मां पर जुलम हुया भारी
भुजा काट ली दूध सूकायो
अब माथै री तैयारी
हिंदवाणी-सूरज ढकणै
नेता बणरया बादळ काळा
चेतो क थूं छोड ऊंघणो
ओ धरती रा रखवाळा...।
छाती ऊपर बैरी थारैष्
मूंग दळै है सालां सूं
भाई-भाई में राड़ करावै
बंदूकां-हथियारा सूं
बैरयां नै थे सबक सिखाओ
गाओ एकता रा नारा
चेतो क थूं छोड ऊंघणो
ओ धरती रा रखवाळा...।
जात-पंथ री बातां सूं थे
मन रै प्रेम नै पाड़ो ना
भासा अर प्रांतां रै भरम री
मन में घुंडी घालो ना
घड़ो फूट रो फोड़ बढ़ो थे
ओ भारत मां रा प्यारा।
चेतो क थूं छोड ऊंघणो
ओ धरती रा रखवाळा...।