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औरत / दिविक रमेश
Kavita Kosh से
वहाँ भी आग है
कहा किसी ने ।
मैंने पूछा —
सबूत ?
उठता हुआ धुआँ
दिखा दिया उसने ।
क्या उसे
सच में नहीं मालूम
वहाँ
बटोरी गई
गीली-सूखी लकड़ियों से खप रही
एक औरत है —
सदियों से / आग के लिए
धुएँ से लड़ रही
एक औरत ।