कटिहारी / गजेन्द्र ठाकुर
कनकनी छै बसात में
हाड़मे ढुकि जाएत ई कनकनी
पोस्टमार्टम कएल शरीर जे राखल अछि
सातटा मोटका शिल्लपर, जड़त कनीकालमे
गोइठामे आगि जे अनलनिहेँ सुमनजी
राखि देल नीचाँ
कनकनाइत पानिमे डूम दऽ
गोइठाक आगिसँ आगि लऽ
शरीरकेँ गति- सद्गति देबा लेल
कऽ देलनि अग्निकेँ समर्पित
तृण, काठ आ घृत समेत
घुरि कऽ जएताह सभ
लोह, पाथर, आगि आ जल लांघि, छूबि
डेढ़ मासक बच्चाकेँ कोरामे लेने माएकेँ छोड़ि
घर सभ घुरत
एक्कैसम शताब्दीक पहिल दशकक अन्तिम रातिक भोरमे
मुदा नै छै कोनो अन्तर
पहिराबा आ पुरुखपातकेँ छोड़ि दियौ
महिलाक अवस्था देखू
ऐ कनकनाइत बसातसँ बेसी मारुख
हाड़मे ढुकल जाइत अछि
कमला कात नै यमुनाक कात
हजार माइल दूर गामसँ आबि
मिज्झर होइत अछि खररखवाली काकीक श्वेत वस्त्र
साइठ साल पूर्वक वएह खिस्सा
वएह समाज
मात्र पहिराबा बदलि गेल
मात्र नदी-धार बदलि गेल
सातटा शिल्लपर राखल ओ शरीर
अग्नि लीलि रहल सुड्डाह कऽ रहल
एकटा परिवार फेरसँ बनबए पड़त
आ तीस बर्खक बाद देखब ओकर परिणाम
ताधरि हाड़मे ढुकल रहत ई सर्द कनकनी
ऐ बसातक कनकनीसँ बड्ड बेसी सर्द
......
गोपीचानन, गंगौट, माला, उज्जर नव वस्त्र
मुँहमे तुलसीदल, सुवर्ण खण्ड गंगाजल
कूश पसारल भूमि तुलसी गाछ लग
उत्तर मुँहे
पोस्टमार्टम कएल शरीर
सुमनजी सेहो नव उज्जर वस्त्र पहिरि
जनौ, उत्तरी पहिरि, नव माटिक बर्तनक जलसँ
तेकुशासँ पूब मुँहे मंत्र पढ़ै छथि
आ ओइ जलसँ मृतककेँ शिक्त करै छथि
वामा हाथमे ऊक लऽ गोइठाक आगिसँ धधकबैत छथि
तीन बेर मृतकक प्रदीक्षणा कऽ
मुँहमे आगि अर्पित होइत अछि
कपास, काठ, घृत, धूमन, कर्पूर, चानन
कपोतवेश मृतक
पाँच-पाँचटा लकड़ी सभ दैत छथि
कपोतक दग्ध शरीरावशेष सन मांसपिण्ड भऽ गेलापर
सतकठिया लऽ सातबेर प्रदक्षिणा कऽ
कुरहरिसँ ओइ ऊकक सात छौसँ खण्ड कऽ
सातो बनहनकेँ काटि
सातो सतकठिया आगिमे फेकि
बाल-वृद्धकेँ आगाँ कऽ
एड़ी-दौड़ी बचबैत
नहाइ लेल जाइ छथि
तिलाञ्जलि मोड़ा-तिल-जलसँ
बिनु देह पोछने
आ फेर मृतकक आंगनमे
द्वारपर क्रमसँ लोह, पाथर, आगि आ पानि
स्पर्श कऽ घर घुरि जाइ छथि
एक्कैसम शताब्दीक पहिल दशकक अन्तिम रातिक भोरमे।