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कमजोरां नै मार / राजू सारसर ‘राज’
Kavita Kosh से
कितरी’क जेज,
राखसी बचाय’र
कबूतरी आपरा बचिया नैं
निजर चूकतांई
झपट लैसी मिनकी
दापड़ी बैठी है
जीभ पलारती होठां माथै।