भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
करवा चौथ / हरकीरत हकीर
Kavita Kosh से
वह फिर जलाती है
दिल के फासलों के दरम्याँ
उसकी लम्बी उम्र का दिया ।
।
यह भी औरत की कैसी मज़बूरी है कि जो दर्द देता है , मन से उसी के लिए दुआ निकलती है