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कलरव / सौमित्र सक्सेना

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पेड़ों के झुरमुट में
शाम घिर आई है
अभी फिर
कलरव होगा आज ।

थकी हुई चिड़ियाँ
मज़दूरों की औरतों की तरह
ख़ूब गीत गाती हैं-

ऐसे ही जैसे
मज़दूरों की औरतें
शोर करती हैं
हर शाम
चिड़ियों-सा ।