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कविता / नील कमल
Kavita Kosh से
पिता कहता है कहानी
चिड़िया की
चिड़िया रोज़ सुबह निकल पड़ती है
दानों की तलाश में दूर-दूर तक
चिड़िया रोज़ ही लौट आया करती है
घोंसले में, बच्चों की ख़ातिर
चिड़िया बनाती हैं घोंसले
बर्फ़ पड़ने से पहले ही लाती है
ढेर सारे दाने बुरे वक़्त के लिए
चिड़िया रखती है ख़याल अपने बच्चों का
‘जैसे आप रखते हैं, मेरा ख़याल’,
कहता है बच्चा पिता से
क्या यही नहीं है कविता ?