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कवि-कर्म / शील
Kavita Kosh से
कवि का कर्म, मर्म जीवन का,
सत्य सृष्टि का,
चेतन-अवचेतन का द्रष्टा –
आलोचक –
जड़-चिन्तन का ।
कवि का कर्म, मर्म जीवन का ।
कवि का कर्म कलुष का भंजक,
मानव में ममत्व का सर्जक,
श्रम का सूत्र ...
निदान अर्थ का ।
कवि का कर्म, मर्म जीवन का ।
ज्ञान रहा विज्ञान सदा,
भौतिक पदार्थ का ।
करें ... कूप-मण्डूक सभ्यता, खेल –
भले ... पिण्डा तर्पन का ।
कवि का कर्म, मर्म जीवन का ।
–
18 जून 1987