भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कहना / कात्यायनी
Kavita Kosh से
शान्ति से दिन बिताओ !
शान्ति से सो जाओ!
शान्ति से बात करो!
शान्ति से पढ़ो-लिखो !
कुछ बनने की कोशिश करो !
शान्ति से लड़ो !
शान्ति से भागो चुपचाप !
शान्ति से जीओ !
शान्ति से मरो !
बाबा रे बाबा !
एक अशान्त दुनिया में
एक अशान्त आत्मा से
शान्ति की इतनी उम्मीदें ?
शान्तम् पापम् ! शान्तम् पापम् !
मार्च, 1986