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कहने पे भरोसा कर / वज़ीर आग़ा
Kavita Kosh से
कहने पर भरोसा कर
कहने कर के हाथों का
ये सारा तमाशा
दास्तान में
रंग भरने, लफ्ज़ चुनने
मुंहानी किरदार को देह-चाँद करने का ये फन
गजरे के डोरे में बँधे
कच्चे कहने से मोहब्बत के नुमाइश का जतन
ये सहर करे ....सब के सब
पुख़्ता, बहुत पुख़्ता अदाकारे का हिस्सा है
तू इस से देर-गुज़र कर
और काले दियो के चुंगल से
चिड़िया को बचा
फिर देख वो कैसे फ़िज़ा में
चार सू अठखेलियाँ करती चहकती है
वो अपनी ज़िंदगी
खुद आप करती है बसर कैसे
तू देखेगा
कहने पर भरोसा कर