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कांक्रीट के शब्द / हेमन्त जोशी
Kavita Kosh से
जटिलताओं के वृक्ष
नहीं हिलते विषम हवाओं में
अब नहीं बहते शब्द
सघन इमारतों से
छा जाते हैं
और उनके भीतर
खोजना होता है हमें।