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कायर ! / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
बिन्यां राख्यां
दरपण नै मुंडागै
किंया देखसी
थारो आपो ?
ऊभ्यां
फेर’र पीठ
कोनी हुवै अलोप
संसार ?
टिकसी कती’क ताळ
मुसाणियों बैराग ?
जे इंयां करयां
हुज्यातो राग अराग
तो कुण मानतो
चेतना री सत्ता ?