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कार्बन पेपर / वर्षा गोरछिया 'सत्या'
Kavita Kosh से
सुनो न
कहीं से कोई
कार्बन पेपर ले आओ
खूबसूरत इस वक़्त की
कुछ नकलें निकालें
कितनी पर्चियों में
जीते हैं हम
लम्हों की बेशकीमती
रशीदें भी तो हैं
कुछ तो हिसाब
रक्खें इनका
किस्मत
पक्की पर्ची तो
रख लेगी ज़िंदगी की
कुछ कच्ची पर्चियां
हमारे पास भी तो होनी चाहिए
कुछ नकलें
कुछ रशीदें
लिखाइयां कुछ
मुट्ठियों में हो
तो तसल्ली रहेगी
सुनो न
कहीं से कोई
कार्बन पेपर ले आओ