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कार्यवाही / सुरेन्द्र रघुवंशी
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जो सरकारी कार्यवाही
गरीबों द्वारा छोटे पैमाने पर
क़ानून उल्लंघन के कारण
पागल हथनी की तरह उन्हें बग़ैर मौक़ा दिए
तहस-नहस कर कुचल डालती है
और क़ानून उल्लंघन यह
कि उन बेघरों ने ख़ाली पड़ी
सरकारी ज़मीन पर बना लिए थे अपने झोंपड़े
कि मज़दूरी करके जीवित रहते हुए
वे बने रहें इस देश के नागरिक
देश भर में उसी क़ानून के बड़े पैमाने पर
सत्ता से जुड़े बाहुबलियों द्वारा उल्लंघन पर
वही सरकारी कार्यवाही कुतिया बनकर
मुँह बन्द कर उनके सामने दुम हिलाती है
और संविधान की धरती पर लिखे
समानता के मौलिक अधिकारों पर
पेशाब कर देती है
और शौच करती है
व्यवस्था के न्याय के सिद्धान्त पर।