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काल चिड़ी / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
धोली‘र काली
पांखाली
काल चिड़ी
देवै आभै रै
आळै में
सूरज‘र चांद रा
इंडा
करै तारां री
बींठां
भाजै लार
एकै सास
वन बावरणी पून
कोनी आवै
पकड़ में पण
सरब भकसी बैरण !