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किरसाण.. / दीनदयाल शर्मा
Kavita Kosh से
खेत मांय
इन्नै-उन्नै
गिणती रा
बळ्योड़ा सा
बाजरी रा बूँटा
अर
काचर-मतीरड़्यां री
अळसायोड़ी बेलां नै
निरखतौ-पळूंसतौ
सियाळै-उन्याळै
ठरतौ-बळतौ
चळू-चळू सींचतौ
टाबरां नै
पधेड़्यां चढायां
टैम-बेटैम बिलमांवतौ
बावळैतरियां
उभाणै पगां भाजतौ
अर आँख्यां फाड़तौ
इण रेत रै
संमदर मांय
कांईं जोवै
आ
नान्ही सी ज्यान
औ
मुड़दल सो किरसाण ।