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कुरता / भोला पंडित प्रणयी

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मेरी पहचान
मेरे लंबे कुरते के
गिरेबान से है

इसकी वाह्य तीनों जेबों से
हज़ारों-लाखों का कारबार
होता आया है
और सामने की जेब में फँसी
क़लमों ने
मेरे जीवन का इतिहास सँवारा है ।

कुरते ने सदा से
मौसमी हवा-वातास,
सर्दी-गर्मी से
मेरी रक्षा ही नहीं की, बल्कि
रक्षा-कवच की भूमिका भी निभाई है ।

अब मेरे कुरते की तर-जेबों में
जो भी सुरक्षित है-
उसकी पॉकेटमारी न हो जाए
संज्ञान तो लेना ही होगा
इस भीड़ भरे बाजार में...।