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कृष्ण चरित / शब्द प्रकाश / धरनीदास
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धनि नन्द यशोमति जी धरनी, धरनी जँह कृष्ण लियो अवतारा।
धनि गोकुल ग्वाल सखा धनि ग्वालिन, धन्य सदा यमुनाजलधारा॥
कौतुक हेतु हतो जिनकंस, विधंस कियो महिभार उतारा।
राजा समाज दियो गुरु सेनहि, आपु सुवर्ण पुरी पगुधारा॥25॥