भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
केकरा / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'
Kavita Kosh से
मौत केरोॅ डोॅर केकरा
ऊंठलै हिलोर केकरा।
सब हँसी मजाक मेॅ रहै
डबडबैैलोॅ लोर केकरा।
मार सब जहाज लेॅ करै
खेत, बैल, होॅर केकरा।
झोपड़ी में ढूकलै इनोर
पेट मॅ मड़ोर केकरा।
आग खेत में लगाय केॅ
हाँक जोर-जोर केकरा।