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कैदी / कन्हैया लाल सेठिया

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कैदी ही के ? कैदी सागै
भोगै कैद रूखाळै !

फरक अतो ही एक मांयनै
दूजो ऊभो बारै,
पण पग बन्धण हुयो, बापड़ो
बंधग्यो कैदी लारै,

कूंची बीं री कड़तू पकड़ै
जको लगावै ताळो,
कैदी ही के ? कैदी सागै
भोगै कैद रूखाळो !

जको घालसी फंदो बीं नै
नाको पकड्यां सरसी,
जको कूटसी घण एरण री
चोट सामणी पड़सी,

मकड़ी जकी फंसावै गूंथै
निज बारोकर जाळो,
कैदी ही के ? कैदी सागै
भोगै कैद रूखाळो !

हिंस्या बा तरवार जकी रै
धार दुतरफी जबरी,
जको काटसी खुद भी कटसी
ईं री मार गजब री,

कोई नै उळझा’र रयो कद
कोई खुद निरवाळो ?
कैदी ही के ? कैदी सागै
भोगै कैद रूखाळो !