भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कैसा जन्म दिवस / रामदुलारा सिंह 'पराया'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जन्म दिवस पर पापा मेरे
लाए खूब मिठाई,
मम्मी-पापा, मैंने खाई
जम कर खूब मिठाई!
पर दादी की थाली से जब-
गायब मिली मिठाई,
तब बरबस ही मेरी आँखें
छल-छल कर भर आई!
झट बोला पापा से जाकर
जन्म दिवस यह कैसा,
दादी माँ को नहीं दिया क्यों-
खाना सबके जैसा?