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कैसे आए मजा! / योगेन्द्र दत्त शर्मा
Kavita Kosh से
कैसा आए मजा, अगर
जंगल ऐसा बन जाए!
सिंह भले ही राजा हो, पर
वहाँ राज्य हो सबका,
चतुर भेड़िया बने प्रशासक
शासन चले गजब का।
छोड़ लोमड़ी चालाकी,
गर्दभ को मित्र बनाए!
चूहे से बिल्ली, बिल्ली से
कुत्ता हाथ मिलाए,
भोले-भाले खरगोशों पर
चीता रहम दिखाए।
बंदर को भीगता देखकर
बया न हँसी उड़ाए!
कोयल पाले कौओं के सुत
बनें तपस्वी बगुले,
मैना कड़वी बात कहे, तो
तोता आँख न बदले।
मुर्गा जब बीमार पड़े तो
तीतर बाँग लगाए!
कौआ तके न माल किसी का
गीदड़ कभी न झगड़े,
हिरन चौकड़ी भरे कहीं, तो
भालू व्यर्थ न अकड़े।
चींटी के हर काम-काज में
टिड्डा हाथ बँटाए!