भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कौन-सा आकाश / सुनीता जैन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम्हारे डैनों ने
न जाने कैसे
साथ
उड़ने के बहाने
मेरे ही पर
हर लिये

अब इन अपंग
अँधेरी गुफाओं में
कौन-सा आकाश
लाऊँ?