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क और ख / नरेन्द्र जैन
Kavita Kosh से
क ने भाषण दिया
ख ने गोली दागी
ग ने ग़ाली दी
घ ने शिकायत लिखी
ड ने प्रार्थना की
ट ने दिया चन्दा
जनतन्त्र में चलता रहा सब निर्विकार
जैसे घास उगती ही रही
पच्चीस वर्षों से लगातार
क ने चार श्रोताओं के समक्ष भाषण दिया
ख ने मारी गोली चार नागरिकों को
ग ने दी एक फूहड़ ग़ाली
घ ने लिखी अख़बार में शिकायत
ड ने प्रार्थना की
ईश्वर सहला रहा था क के खुट्टे
ड ने हर बार चन्दा दिया
क ने राष्ट्र के नाम
अपना सन्देश