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ख़ामोशी में गुम / नंदकिशोर आचार्य

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जाने क्यों मुझ को
शब्द करना चाहता था वह
गुम है जो ख़ुद
ख़ामोशी में अपनी

क्यों सहन नहीं हो पाया
                    मैं ख़ामोश
 ख़ामोशी को उस की

अब शब्द हो कर
भटक रहा हूँ मैं
हर बस्ती हर जंगल
पुकारता हुआ
ख़ामोशी को अपनी

वह भी क्या बेकल है
पुकार के लिए
किसी की ख़ामोशी में
                 गुम ?

15 अप्रैल 2010