भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ख़ुश रंग परिंदे / निदा नवाज़
Kavita Kosh से
उन्होंने अपने युद्ध को
मेरे आंगन में लड़ने की ठान ली है
और मेरी हरियाली के
ख़ुश रंग परिंदों का एक क़ाफ़िला
रेगेस्तानों की तरफ़
बेनाम रास्तों पर
कूच कर गया है.