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खाट / श्रवण कुमार सेठ

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जो थे उल्लू काठ के
पाये हो गये खाट के
खाट जहाँ भी पड़ा रहे
वजन उठाये आठ के।

रामू बैठें जुम्मन बैठें
बैठें दलेर और जस्टिन
पूरब बैठें पश्चिम बैठें
बैठें उत्तर - दक्खिन।

खायें पिएँ मौज़ मनाएं
सबके सब मिल बाँट के
खाट जहाँ भी पड़ा रहे
वजन उठाये आठ के।