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खुशबू जरा उड़ा लें / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
कुछ किस्से नए सुना लें
कुछ मीठे गाने गा लें!
गुनगुना आज मौसम है
छोड़ो सब रोना-धोना,
कुछ गुब्बारे ले आएँ
एक नन्हा रेल खिलौना!
भैया तुम रेल चलाना,
हम झंडी जरा हिला लें!
तुम बौने लेकर आना
हम सोने जैसी परियाँ,
फूलों की पोशाकें हों
बस, फूलों की ही छड़ियाँ!
सब मिल सपना बन जाए,
हम मिलकर उसे उछालें!
ये हवा कभी चुपके से
कहती है कथा-कहानी,
मन करता, बस्ता पटको
तितली के पीछे दौड़ें-
हम खुशबू जरा उड़ा लें!
कुछ डाँट-डपट पापा की
मम्मी की बातें मीठी
एक चूँ-चूँ करती चिड़िया
एक पीं-पीं करती सीटी!
एक गीत अजब-सा इनका
हम नए सुरों में ढालें!