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खुश रहने की दुआ / धनराज शम्भु
Kavita Kosh से
खुश रहने की दुआ देकर तुम ने बदनाम किया
अपनों में ग़ैर बना कर तुम ने बदनाम किया
हर काम न्यारा हर बात प्यारी थी तुम्हारी
अपाहिज बना के ग़ैरों में तुम ने बदनाम किया
कभी मीठी बातों के समन्दर में डूबोया था
अब रेगिस्तान में झोंक के तुम ने बदनाम किया
हवाओं में महल और शीशे के घर बने थे
खयालों में ही छोड़ के तुम ने बदनाम किया
सारा माहौल अपना था स्वर्णिम सपने अपने थे
सुकून छीन के सारा तुम ने बदनाम किया ।