खेलकूद की आजादी / प्रकाश मनु
हमें चाहिए, अजी चाहिए-
खेल-कूद की आजादी!
बोर करो मत पापा जी अब
हमको टोको ना,
क्रिकेट खेलेंगे दिन भर अब
हमको रोको ना।
खेल नहीं तो जीवन भी है
फीका-कितना फीका,
बिना खेल के अजी जायका
बिगड़ा है अब जी का!
बहुत सहा है, नहीं सहेंगे
अब हम कोई बंधन,
खेल नहीं तो पढ़ने में भी
कहाँ लगेगा मन!
खेल-कूद से ही आती है
हिम्मत कुछ करने की,
मुझे बताया करती थी यह
हँस-हँस प्यारी दादी।
इसीलिए तो हमें चाहिए,
खेल-कूद की आजादी!
खेल नहीं बेकार, इसे अब
दुनिया मान रही है,
जोश नहीं यह झूठा-मूठा
दुनिया जान रही है।
फिर पैरों में ये जंजीरें
क्यों कोई पहनाए,
राह हमारी बिना बात ही
रोके या भटकाए।
ज्यादा रोको ना, टोको ना
हमको अब पापा जी,
बच्चों को देनी ही होगी
खेल-कूद की आजादी।
वरना अब सत्याग्रह होगा
होंगी हड़तालें भी,
पैदा होगा हममें से ही
कोई नन्हा गाँधी!
नारा यही लगाएगा जो
आजादी! आजादी!
हमें चाहिए, अजी चाहिए,
खेल-कूद की आजादी!