गढ़पुत्र / लोकेश नवानी
धार मा ऐ बियण्या तू पैटि गेई
गैणा नमान त्वेइ देखदा रैगेंई
बिनसरि कु भट्यंदेर जाणी कि त्वेतैं
जून बि डांड्यूं का पार चलीगे
सुपिनौं की रोज रैंदी करणू जग्वाली।
छै सच्चु गढ़पुत्र कबि तू न भूली।। 1।।
खुजे खुटौं का छाप आयू नारैण
बल्दों की घांडियों की गुणमुण गुणमुण
लगदी तु जोगी इनू घर छोड़ि जांदा
या रचना करणा कु बणकै बिधाता
कांद मा हैल हाथ बीजों की थैली।
छै सच्चु गढ़पुत्र कबि तू न भूली।। 2।।
कुदरत कु ओड छै तु हाथु म सगोर
तू खुद विकास छैई तेरू हुनर
बणगींन छजा तेरि बणगिन तिबारी
छोयों को चूंदु पाणि बणिगे पंदेरी
हाथ मा छैणि तेरा कांद म फटाली।
छै सच्चु गढ़पुत्र कबि तू न भूली।। 3।।
कांडा काटीकि तिल बाटा बणैनी
जिकुड़ी की गाणि कुटमणी सी फुटीनी
डांड्यूं का पोड़ त्वड़िन पुंगड़ा बणैनी
गदन्यूं का धारा रोकी सेरा सजैनी
देबतौं का ठौ बणैनी कांठ्यूं की चूली।
छै सच्चु गढ़पुत्र कबि तू न भूली।। 4।।
कांडा काटीकि तिल बाटा बणैनी
जिकुड़ी की गाणि कुटमणी सी फुटीनी
डांड्यूं का पोड़ त्वड़िन पुंगड़ा बणैनी
गदन्यूं का धारा रोकी सेरा सजैनी
देबतौं का ठौ बणैनी कांठ्यूं की चूली।
छै सच्चु गढ़पुत्र कबि तू न भूली।। 5।।
बोट्यूं कु सैंदार कुदरत को माली
दींदि सहारू तू हि करदी जग्वाली
बांजा रगड़ खैंणि फांगी धधोड़ी
हैरि पुंगड़ि सजे हैरी सगोड़ी
तेरा कांद मा ठंगरि हाथ कुटली।
छै सच्चु गढ़पुत्र कबि तू न भूली।। 6।।
जब तू बच्याइ छै रे कन गीत ऐनी
उडेरों मां नाग डांड्यूं अछरी नचीनी
सच्चू भगत छै रै सच्चू पुजारी
तेरी किटकताळ दुख देंद मारी
कांद मा डौंर तेरा हथु मा थकूली
छै सच्चु गढ़पुत्र कबि तू न भूली।। 7।।