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गर्मी छै बेताल सखी रे / मुकेश कुमार यादव

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गर्मी छै, बेताल सखी रे।
सुखलो सगरे ताल सखी रे।
भेलै भोर।
सगरे शोर।
धूप करै छै, पुरजोर।
अंधर-तूफान काल सखी रे।
गर्मी छै, बेताल सखी रे।
गरम हवा।
करै तबाह।
तीतर, मोर, बटेर, गवाह
सूरज भेलै, लाल सखी रे।
गर्मी छै, बेताल सखी रे।
खेत परती।
तबलो धरती।
दुःख नञ् हरतौ।
कुछ नञ् करतौ।
जी केरो जंजाल सखी रे।
गर्मी छै, बेताल सखी रे।
आशा धरी।
भरी दूपहरी।
जी जाय जरी।
मरी-परी।
पिया पूछै, हाल सखी रे।
गर्मी छै, बेताल सखी रे।
साजन बिना सबकुछ सूना।
केतना मुश्किल लागै जीना।
खटिया पारी।
बैठी द्वारी।
राह निहारी।
आज बेचारी।
करै छै, मलाल सखी रे।
गर्मी छै, बेताल सखी रे।
पनघट खाली।
चौपाल खाली।
गोरी के लाली।
चाल मतवाली।
आँखियाँ काली।
सखियाँ सारी।
भोली-भाली।
नखरा वाली।
नञ् करै, बबाल सखी रे।
गर्मी छै, बेताल सखी रे।
रात सबके खीचै।
खुला आकाश के नीचै।
आँखियाँ मीचै।
प्यार से सीचै।
पवन उड़ाबै, बाल सखी रे।
गर्मी छै, बेताल सखी रे।