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गळगचिया (31) / कन्हैया लाल सेठिया
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तेली रो नारो पूछ्यो-घाणी आपाँ कता‘क कोस चालग्या ? घाणी बोली-थ्यावस राख तिल नीवड़याँ मजल आसी।