भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गुजरात-चार / मुकेश मानस

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


जो लोग
अब तक ग़र्क़ हो चुके हैं
या मारे जायेंगे भविष्य के दंगों में
आइये उनकी याद में
रोप दें कोई फूल
अपने भीतर
ताकि उसकी खुशबू महक सके
वहाँ तक
जहाँ तक इंसानी वजूद की
आख़िरी हद बसती है
2002